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खबर विशेष / साल मे 365 दिन होते है ओर हर एक दिन किसी न किसी अच्छी बुरी घटना के लिए जाना जाता है दुनिया भर मे कुछ ऐसी घटनाये जिन्हे हम आसानी से भुला सकते है तो कुछ ऐसी भी रही जो इतिहास के पन्नों मे हमेशा के लिए दर्ज हो चुकी है चाहे वे भारत की हो या फिर अन्य देशो की, ऐसी ही एक घटना थीं रूस के मास्को शहर की जहां 22 जनवरी दिन 1905 को रूसी क्रांति की शुरुआत हुई थी और उस दिन रविवार था। उस दौरान रूस में जार निकोलस द्वितीय का शासन था। जार निकोलस की कई नीतियों के खिलाफ मजदूरों में आक्रोश था। इसके कारण मजदूर इस दिन अपने मेहनताने और काम के घंटों जैसे मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। मजदूरों का काफिला जार से मिलने के लिए सेंट पीटर्सबर्ग के विंटर पैलेस की दिशा में बढ़ रहा था। वे अपनी मांगों को लेकर जार निकोलस से मिलना चाहते थे, मगर जार के पास पहुंचने से पहले ही सैनिकों ने निहत्थे मजदूरों को गोलियों से भून डाला। इस घटना में 500 से अधिक लोग मारे गए थे।
इसके बाद से इस दिन को रूस के इतिहास में ब्लडी संडे, यानी खूनी रविवार के नाम से जाना जाता है। इसी घटना के बाद 1917 में व्लादिमिर लेनिन की अगुवाई में रूसी क्रांति की शुरुआत हुई। यानी रूसी क्रांति दो चरणों में हुई। प्रथम चरण में 1905 में रूसी साम्राज्य में एक बड़ा सियासी और सामाजिक आंदोलन हुआ था। इस क्रांति के दौरान ही जार के शासन का अंत हुआ था।
जार को उसकी पत्नी और 5 बच्चों सहित फांसी दे दी गई थी। क्रांति के बाद रूस में गृह युद्ध शुरू हो गया। ये रेड आर्मी और व्हाइट आर्मी के बीच था। बता दें कि रेड आर्मी समाजवाद की समर्थक थी, जबकि व्हाइट आर्मी पूंजीवाद, राजशाही की समर्थक थी। 1920 में समाजवाद के विरोधी हार गए। 1922 में सोवियत संघ, यानी USSR की स्थापना हुई।