समाचार पत्रिका व अखबार / न्यूज नेशनल —-NNJ
रोशनाबाद क्षेत्र मे ऐसे सैकड़ो मेडिकल व क्लिनिक खुले आम अपने धंधे कों अंजाम दे रहे है जिनके पास न तो कोई योग्यता है और न ही कोई प्रमाण, हर दस कदम कि दूरी पर ऐसे झोलाछाफ डॉक्टर मेडिकल व क्लिनिक खोलकर लोगों कि जान से खिलवाड़ कर रहे है जिनके पास किसी प्रकार कि न तो कोई डिग्री ही है और न ही मेडिकल कि कोई विशेष मान्यता,
हर गली मोहल्ले मे जहाँ देखो मेडिकल व क्लिनिक धड़ाधड़ खुल रहे है,
सूत्रों द्वारा मिली जानकारी के अनुसार जितने भी फ़र्ज़ी व झोलाछाफ डॉक्टर अवैध रूप से मेडिकल व क्लिनिक का व्यापार कर रहे है,क्षेत्र मे उन्ही के द्वारा नशीली दवाओ का भी व्यापार किया जा रहा है, हालाकी ये मेडिकल व क्लिनिक संचालक इतने शातिर है कि ज़ब भी कोई ग्राहक इनसे नशे कि दवा खरीदता है, तो उसे ये दवाए मेडिकल पर नही बल्कि मेडिकल संचालक द्वारा आस पास कि किसी अन्य दूकान से उठाकर दी जाती है कहने का मतलब स्पस्ट है कि संबंधित विभाग द्वारा अगर किसी तरह कि कोई छापेमारी इन मेडिकलो पर हो जाये तो किसी भी अधिकारी को इनके मेडिकल पर कोई प्रतिबंधित दवा मिलेगी ही नही, कुल मिलाकर बहुत ही शातिराना तरीके से यहाँ नशे के कारोबार को भी अंजाम दिया जा रहा है,
जानिये आखिर क्यों संबंधित विभाग पर खडे होते है सकड़ों सवाल,
हैरान करने कि बात ये है कि रोशनाबाद गाँव प्रसाशनिक भवन का सबसे निकट का गाँव है जो मात्र लगभग 2 किमी कि दूरी पर है, समस्त प्रसाशन रोशनाबाद कि सीमा मे ही बैठा है, फिर क्यों संबंधित विभाग व प्रसाशन इन पर लगाम कसने मे असफल हो रहा है, या फिर इनके द्वारा जानबूझकर इन झोलाछाफो को ढील दी जा रही है,?
कार्यवाही के बाद भी फिर से खोल लेते है यहाँ झोलाछाफ अपनी दुकाने,
हालाकी ड्रग विभाग कि और से यहाँ लगातार इन झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ कार्यवाही कि जाती है, कुछ ही के खिलाफ कार्यवाही होती है तो अधिकतर झोलाछाफ मेडिकलों व क्लिनिकों के शटर गिराकर भाग निकलते है, और तब तक अपने शटर नही खोलते ज़ब तक मामला शांत न हो जाये, जैसे ही मामला शांत होता है वो फिर दुकाने चालू कर देते है,
लेकिन यहाँ जो सबसे बड़ा दुर्भाग्य है वो ये है कि रोशनाबाद जिस क्षेत्र मे ये अवैध गतिविधियां चल रही है उस से स्वास्थ्य विभाग कि दूरी ज्यादा नही बावजूद आज तक स्वास्थ्य विभाग कि और से यहाँ किसी प्रकार कि कोई छोटी बड़ी कार्यवाही नही हुई है,
अगर स्वास्थ्य विभाग से ये रिकॉर्ड मांग लिया जाये कि आज तक कितने क्लीनिको और मेडिकलों पर उनके विभाग द्वारा कार्यवाही की गई है तो शायद ही वो कोई रिकॉर्ड सामने रखा पाएँ,