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उत्तराखण्ड राज्य को देवभूमि इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि शास्त्रों मे जितने भी देवी देवताओं का वर्णन किया गया है उन सभी का कोई न कोई गहरा संबंध देवभूमि से रहा है,देवभूमि का ऐसा कोई जिला नही जिसमे देवी देवताओं के प्राचीन मंदिर ना हो, यहीं कारण है की यहाँ जन्म लेने वाला स्वयं को भाग्यशाली समँझता है,
अब भारत के इसी राज्य की भूमि से पवित्र कैलाश पर्वत के दर्शन करने का शिव भक्तों का सपना भी इन नवरात्रों मे पूरा हो गया है. शारदीय नवरात्र मे यात्रियों के 5 सदस्यीय दल ने उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित ओल्ड लिपुलेख से माउंट कैलाश के दर्शन किए.
इस दौरान कैलाश पर्वत के दिव्य दर्शन से श्रृद्धालु भाव विभोर हो उठे. केंद्र सरकार से हरी झंडी मिलने के बाद प्रदेश में सीएम पुष्कर सिंह धामी की राज्य सरकार ने यात्रा के सफल संचालन के लिए पहले ही कमर कस ली थी. कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएमवीएन) ने इसके लिए बाकायदा एक टूर पैकेज का भी ऐलान किया है.
हेलीकॉप्टर से गुंजी पहुंचाया गया
उत्तराखंड टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड (यूटीडीबी) की पहल पर कुमाऊं मंडल विकास निगम ने माउंट कैलाश के दर्शन के लिए 5 दिवसीय टूर पैकेज तैयार किया है. पैकेज में भगवान शिव के दो अन्य धाम आदि कैलाश व ओम पर्वत के दर्शन भी सम्मिलित हैं. पैकेज के तहत यात्रियों के पहले 5 सदस्यीय ग्रुप ने गुरुवार को माउंट कैलाश के दर्शन किए. श्रद्धालुओं के ग्रुप को बुधवार को हेलीकॉप्टर के माध्यम से पिथौरागढ़ के गूंजी नामक स्थान पर पहुंचाया गया. इसके बाद गुरुवार को सभी यात्रियों को सड़क मार्ग द्वारा ओल्ड लिपुलेख से ओम पर्वत और माउंट कैलाश के दर्शन कराये गये. बताया गया है कि शुक्रवार को इन सभी यात्रियों को जौलिकांग से आदि कैलाश के दर्शन करवाकर गूंजी में नाइट स्टे कराया जाएगा. इसके बाद 5 अक्टूबर को सभी यात्रियों को हेलीकॉप्टर के जरिए वापस पिथौरागढ़ वापस पहुंचाया जाएगा.
जानिये क्या कहना है यात्रियों का …
इस यात्रा दर्शन को आये श्रद्धालु चौकसे ने बताया कि भगवान शिव के इन पवित्र धामों के दर्शन कर उनको बेहद सुख की अनुभूति हुई है. माउंट कैलाश, आदि कैलाश व ओम पर्वत के अलौकिक सौंदर्य के दर्शन ने उनको मंत्रमुग्ध कर दिया है. वहीं, अन्य श्रद्धालुओं में अमनदीप जिंदल ने बताया कि भगवान शिव के इन धामों के दर्शन कर उनको मानो स्वर्ग की प्राप्ति हो चुकी है. प्रकृति के इस विहंगम दृश्य को देखते ही मन को अलग ही सुख की प्राप्ति हो रही है. उन्होंने इस यात्रा को संचालित करने के लिए सरकार के प्रति आभार प्रकट किया है.
पहले पार करना पड़ता था चीन बॉर्डर…..
कोरोनाकाल से पहले तक केंद्र सरकार कुमाऊं मंडल विकास निगम के जरिए कैलाश मानसरोवर यात्रा कराती थी. तब शिव भक्त लिपुपास से पैदल यात्रा कर चीन बार्डर पार कर कैलाश मानसरोवर के दर्शन करते थे. लेकिन, कोविडकाल के बाद से यह यात्रा बंद पड़ी हुई है. वहीं, दूसरी ओर भारत-चीन विवाद के कारण अभी तक चीन सरकार ने भारत सरकार को कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए अपनी सहमति नहीं दी है. लंबे समय से शिव भक्त कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने को आतुर थे. इसको देखते हुए केंद्र सरकार ने भारत की भूमि से ही श्रद्धालुओं को पवित्र कैलाश पर्वत के दर्शन कराने का फैसला लिया. पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने सभी को इस सफल यात्रा के संचालन के लिए बधाई दी. कहा, इस यात्रा से राज्य के पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय लोगों को स्वरोजगार के अवसर भी प्राप्त होंगे.
उत्तराखण्ड के इस जिले के ग्रामीणों ने खोजा व्यू प्वॉइंट
पिथौरागढ़ जिले में स्थित स्थानीय ग्रामीणों ने 18 हजार फीट ऊंची लिपुलेख पहाडिय़ों पर व्यू प्वाइंट खोजा. जहां से साफ दिखाई देता है कैलाश पर्वत.
ग्रामीणों की सूचना पर पहुंची अफसरों व स्पेशलिस्ट की टीम ने रोड मैप, लोगों के ठहरने की व्यवस्था, दर्शन के प्वाइंट तक जाने का रूट सहित अन्य व्यवस्थाओं के लिए किया सर्वे.
-केंद्र सरकार की ओर से हरी झंडी मिलने के बाद शासन ने 15 सितंबर से ओल्ड लिपुपास को श्रद्धालुओं के लिए खोलने का फैसला लिया.
-सीएम धामी ने इस अवसर पर अपनी खुशी जताते हुए टूरिज्म डिपार्टमेंट, आईटीबीपी व जिला प्रशासन का जताया आभार.
भारत की भूमि से ही शिव भक्तों को कैलाश पर्वत के दर्शन होना बहुत ही सुखद है. मैं इसके लिए पीएम मोदी का आभार प्रकट करता हूं. हमारी सरकार सीमांत गांवों में टूरिज्म को बढ़ावा देकर स्थानीय लोगों के पलायन की समस्या को रोकने की दिशा में कार्य कर रही है. भविष्य में इस यात्रा को और भी अधिक सुगम बनाने के लिए सुविधाओं को विकसित किया जाएगा.