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देहरादून,पत्रकारिता का स्तर कहाँ से कहाँ पहुँच चूका हैं इसका अंदाजा आप इन खबरों से लगा सकते हैं,की अब अपराधी पत्रकारिता की आढ़ लेकर बड़े बड़े अपराधों को अंजाम दे रहे हैं,अतीक की हत्या भी पत्रकारिता की आढ़ लेकर आसानी से कर दी गई,लेकिन सरकार ओर प्रसाशन को सबक नही मिला,अब ऐसा ही एक ओर नया मामला सामने आ गया जहाँ पत्रकारिता की आढ़ लेकर आंतकवादियों के लिए धन इकठ्ठा किया जा रहा था,कम से कम इस गतिविधियों के चलते तो सरकार को सबक लेना चाहिए,
ज़ब सरकार बार बार देख रही हैं कि अपराधिक गतिविधियों मे लिप्त रहने वाले पत्रकारिता का संरक्षण लें रहे हैं तो क्यों जांच नही होती? आज उत्तराखण्ड के हालात भी दिन प्रतिदिन बिगड रहे हैं,हर गली मोहल्ले मे असामाजिक तत्व पत्रकार बने घूम रहे हैं ऐसा ही एक मामला सामने आया हैं 28 वर्षीय मुजम्मिल जहूर मालिक का जो जानकारी के अनुसार कश्मीर का रहने वाला हैं लेकिन सात महीने उत्तराखण्ड कि राजधानी देहरादून मे रहकर पत्रकारिता कि आढ़ मे आतंकी संगठनों के लिए फ़र्ज़ी बैंक खाते खोलकर धन इकठ्ठा कर रहा था,
बता दें कि टेरर फंडिंग मामले में जम्मू कश्मीर पुलिस ने बीती 20 जुलाई को इस कथित पत्रकार 28 वर्षीय मुजम्मिल जहूर मलिक को नौगाम इलाके के इंदरगाम पत्तन गांव से गिरफ्तार किया हैं । गिरफ्तार आरोपी ने कुछ समय तक देहरादून के एक निजी टीवी चैनल में भी बतौर पत्रकार काम किया था। जिसके बाद अब देहरादून पुलिस ने भी मामले की जांच शुरू कर दी है,
सूत्रों के अनुसार मुजम्मिल जहूर महिक ने फर्जी पहचान पत्रों के आधार पर बैंक खाते खोलकर धन जमा करवाया जिसे वह आतंकी गतिविधियों के लिए मुहैया करवाता था। इस मामले में पहले ही जम्मू कश्मीर पुलिस पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है। जहूर मलिक टेटर फंडिंग के इस मामले में छठा आरोपी है जिसे पुलिस ने हाल में ही गिरफ्तार किया हैं
मुजम्मिल जहूर मलिक के बारे में कश्मीर पुलिस ने बताया है कि इसने देहरादून के एक टीवी न्यूज चैनल में बतौर पत्रकार सात महीने काम किया था उसके बाद वह दिल्ली चला गया। इस बीच वह फर्जी पहचान पत्रों के जरिए बैंक खाते खोलकर अलग अलग जगहों से धन जुटाता रहा जिसे आतंकी गतिविधियों के लिए उपलब्ध करवाया जाता था। मलिक के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के साथ ही यूएपीए के साथ ही देशद्रोह के मामले भी दर्ज किए गए हैं।
वहीं, आरोपी के देहरादून कनेक्शन की जानकारी मिलने के बाद उत्तराखंड पुलिस भी मामले में सक्रिय हो गई है। हालांकि, मामले के बारे में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने अधिकारिक तौर पर उत्तराखंड पुलिस से जानकारी साझा नहीं की है। लेकिन, माना जा रहा है कि खुफिया विभाग की टीम उसकी जानकारी जुटाने के लिए देहरादून आ सकती है।
देवभूमि उत्तराखण्ड ऐसा राज्य हैं जहाँ बहुत तेजी से ऐसे अयोग्य पत्रकारों कि संख्या बढ़ती नजर आ रही हैं जिनका अपराधिक गतिविधियों से कोई न कोई नाता रहता हैं ओर जिन पर बहुत से अपराधिक गतिविधिओं के मामले कोर्ट मे चल रहे हैं,लेकिन न तो इस पर सरकार कोई ध्यान देने को तैयार हैं ओर न ही प्रसाशन,जबकि अतीक हत्या ओर अब मुजम्मिल जहुर मलिक का ये ताज़ा मामला सरकार ओर प्रसाशन के लिए एक बड़ा सबक होना चाहिए, सूत्रों कि अगर माने तो उत्तराखण्ड के देहरादून,रुड़की,हरिद्वार ऐसे शहर व जिले हैं जहाँ पत्रकारिता के क्षेत्र मे असामाजिक तत्व शरण लें रहे हैं,जो आने वाले कल के लिए जहाँ पत्रकारिता के लिए तो खतरा बन ही रहा हैं वहीं सरकार के लिए भी इसके नतीजे शुरू हो चुके हैं