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NSG और MARCOS कमांडो के पास अब होंगे,जर्मन के ये खतरनाक हथियार, जर्मनी ने भारत के ऊपर लगे प्रतिबंध कों हटाया,दोनों देशों के बीच तेजी से बढ़ रहे रक्षा सहयोग,

ByManish Kumar Pal

Apr 28, 2024

News National,

अगर हम बात करने अपने भारत कि तो वर्तमान मे दुनिया के अधिकतर देश भारत से अपने संबंध मजबूत कर रहे है, क्योंकि आज भारत महाशक्ति कि और बढ़ता नजर आ रहा है, दूसरा दुनिया भर के देशो मे भारत कि छवी एक मददगार देशी कि भी रही है,परेशानी के समय मे भारत हर सम्भवत मदद करता नजर आता है,

आज जर्मनी का ये कदम भारत के साथ उसके बढ़ते रणनीतिक और सैन्य संबंधों को दर्शाता है। इससे पहले जर्मनी का अपना एक नियम था। उसने गैर-नाटो देशों को छोटे हथियारों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया था।

लेकिन बता दें कि जर्मनी ने अब भारत के लिए हथियारों की बिक्री से प्रतिबंध हटा लिया है। जर्मनी ने कहा है कि वह भारत को अपवाद के तौर पर मानते हुए छोटे हथियारों की बिक्री से प्रतिबंध हटा रहा है। सूत्रों के हवाले से लिखा है कि जर्मनी से छूट मिलने के बाद भारत अब अपनी सेना और राज्य पुलिस बलों के लिए छोटे हथियारों को खरीद सकता है। राजनयिक सूत्रों के अनुसार, जर्मनी ने इस महीने की शुरुआत में राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) को उसकी एमपी5 सबमशीन गन (Heckler & Koch MP5) के लिए स्पेयर पार्ट्स और अन्य उपकरण खरीदने की अनुमति दी है।

बता दें कि हेकलर एंड कोच एमपी5 एक सबमशीन गन है जिसे 1960 के दशक में जर्मन हथियार निर्माता हेकलर एंड कोच द्वारा बनाया गया था। खास बात ये है कि यही MP5 सबमशीन गन वर्तमान में NSG और भारतीय नौसेना के समुद्री कमांडो (MARCOS) द्वारा इस्तेमाल की जाती है। रिपोर्ट के अनुसार, जर्मनी ने अपने निर्यात लाइसेंसिंग नियमों में भी काफी ढील दी है। इसके चलते पिछले महीने कई भारतीय ऑर्डर को मंजूरी दी गई है। इससे पहले भी, छोटे हथियारों को छोड़कर, 95 प्रतिशत भारतीय खरीद सौदों को मंजूरी दे दी जाती थी, लेकिन प्रक्रिया में समय लगता था, जिससे जर्मनी को इस प्रक्रिया को आसान बनाना पड़ा।
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत और जर्मनी के बीच रक्षा सहयोग तेजी से बढ़ रहा है। भारतीय वायु सेना अपने एएन-32 को रिप्लेस करने के लिए 18 से 30 टन की वहन क्षमता वाले मध्यम परिवहन विमान (एमटीए) की तलाश कर रही है, जिसमें जर्मनी सहित कई वैश्विक निर्माता रुचि ले रहे हैं। इसके अलावा, इसी साल अक्टूबर के अंत में, जर्मनी से दो जहाज (संभवतः एक फ्रिगेट और एक टैंकर) एक बड़ी तैनाती के हिस्से के रूप में भारत का दौरा करेंगे और भारतीय नौसेना के साथ कुछ समुद्री युद्धाभ्यास में भाग लेंगे। जर्मनी भारत के हल्के टैंक कार्यक्रम के लिए इंजन उपलब्ध कराने पर भी भारत के साथ बातचीत कर रहा है। हालांकि, यह प्रारंभिक चरण में है और विचाराधीन है।

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