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देहरादून। उत्तराखंड में अब खनन गतिविधियों पर आधुनिक तकनीक से सख्त निगरानी रखी जाएगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार ने अवैध खनन और राजस्व हानि पर रोक लगाने के लिए एक नई हाईटेक योजना शुरू की है। इसके तहत अब नदियों के किनारे होने वाले खनन कार्यों पर नाइट विजन ड्रोन कैमरों की नजर रहेगी, जबकि खनन सामग्री ढोने वाले सभी वाहनों में जीपीएस आधारित ट्रैकिंग सिस्टम लगाया जाएगा।
औद्योगिक विकास (खनन) विभाग ने इस योजना को प्रदेश के चारों मैदानी जिलों — देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर और नैनीताल — में लागू करने का निर्णय लिया है। नाइट विजन ड्रोन न केवल रात में अवैध खनन की निगरानी करेंगे, बल्कि वाहनों की गतिविधियों पर भी रीयल-टाइम रिपोर्ट देंगे।
खनन विभाग के अनुसार, खनन सामग्री से राज्य को हर साल हजारों करोड़ का राजस्व प्राप्त होता है। पिछले वित्तीय वर्ष में विभाग ने करीब 1050 करोड़ रुपये से अधिक राजस्व अर्जित किया था, जो निर्धारित लक्ष्य से भी अधिक रहा। इस वर्ष 950 करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा गया है, जिसे पूरा करने के लिए विभाग अवैध खनन पर पूरी तरह अंकुश लगाने के प्रयास में जुटा है।
विभाग के अधिकारियों के अनुसार, बरसात के बाद अक्टूबर से खनन कार्य दोबारा शुरू हो जाते हैं। इस दौरान अवैध खनन को रोकने के लिए 25 चेक गेटों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। इन कैमरों से गुजरने वाले वाहनों की रीयल-टाइम निगरानी की जाती है। साथ ही वाहनों में लगे जीपीएस चिप से यह पता लगाया जा सकेगा कि वे स्वीकृत खनन क्षेत्रों से ही सामग्री उठा रहे हैं या नहीं।
खनन निदेशक राजपाल लेघा ने बताया कि विभाग खनन व्यवस्था को अधिक पारदर्शी और व्यवस्थित बनाने की दिशा में तेजी से काम कर रहा है। उन्होंने कहा, “नाइट विजन ड्रोन कैमरों और जीपीएस मॉनिटरिंग से अब अवैध खनन पर कड़ा नियंत्रण संभव होगा। हमारा लक्ष्य खनन से होने वाली हर आय को वैध माध्यमों से ही सुनिश्चित करना है।”
नई तकनीकी व्यवस्था से न केवल अवैध खनन पर रोक लगेगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और राजस्व पारदर्शिता की दिशा में यह उत्तराखंड सरकार का बड़ा कदम माना जा रहा है।
