• Sat. May 31st, 2025

क्या कभी सोचा है सिर्फ बेटे ही क्यों करते हैं अंतिम संस्कार? जानें क्या कहती है धार्मिक मान्यतायें,

ByManish Kumar Pal

Dec 29, 2023

News National

पृथ्वी पर मनुष्य ही एक ऐसी जाति है जिसके जन्मदिन होने पर हो या मृत्यु होने पर, बहुत से रीती रिवाज मनाये जाते है मनुष्य चाहे किसी भी धर्म मे जन्मा हो उसे उसके समाज मे किसी न किसी रीति से गुजरना पड़ता है, ज़ब जन्मदिन लेता है तब भी ओर ज़ब दुनिया से अलविदा कहता है तब भी,

आज हम बात कर रहे है हिन्दू धर्म की,हिंदू धर्म में मृत्यु के पश्चात अंतिम संस्कार की विधि है.मुखाग्नि देकर मृतक का दाहसंस्कार किया जाता है.

अंतिम संस्कार करने की प्रक्रिया के बारे में पुराणों में बताया गया है. हिंदू धर्म में जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो उसका बेटा या फिर घर को कोई पुरुष सदस्य ही मुखाग्नि देता है. यानी अंतिम संस्कार लड़के ही करते हैं. लड़कियां अंतिम संस्कार नहीं करतीं.

आइए जानते हैं कि आखिर इसके पीछे की धार्मिक मान्यता क्या है? क्यों सिर्फ पुरुष/ लड़के ही अंतिम संस्कार की क्रिया करते हैं. धार्मिक गुरुओं की मानें तो हिंदू धर्म में अंतिम संस्कार वंश की परंपरा होती है. और अंतिम संस्कार हमारे वंश परंपरा का एक हिस्सा है. विवाह के पश्चात लड़की दूसरे परिवार को हिस्सा बन जाती है. इसलिए पुत्री द्वारा पिता को मुखाग्नि नहीं दी जाती है. लेकिन अगर परिवार में पिता का पुत्र न हो या कोई बड़ा न हो तो लड़कियां भी अंतिम संस्कार कर सकती हैं.

जब किसी इंसान की मृत्यु हो जाती है तो उसके बाद वह पितृ बन जाता है. अंतिम संस्कार में वंश की भागीदारी होना अनिवार्य माना जाता है. इसी कारण पुत्र या लड़के ही अंतिम संस्कार करते हैं.

शास्त्रों के अनुसार पुत्र शब्द दो अक्षरों के मेल से बना हुआ है. पु जिसका अर्थ है नरक और त्र जिसका अर्थ है त्राण. इस तरह पुत्र शब्द का अर्थ हुआ नरक से मृतक को बाहर निकालकर उच्च स्थान पर पहुंचाने वाला. एक भी एक कारण है कि लड़के ही मृतक का अंतिम संस्कार करते हैं.

वहीं, एक दूसरी मान्यता यह है कि जिस तरह से लड़कियां मां लक्ष्मी का स्वरूप होती है ठीक उसी प्रकार पुत्र विष्णु भगवान का तत्व माने जाते हैं. विष्णु तत्व से अभिप्राय पालन पोषण करने वाला है. यानी वो इंसान जो घर को संभालने का काम करता है. इसी कारण दाह संस्कार की जिम्मेदारियां लड़के ही निभाते हैं. लेकिन वर्तमान दौर में प्रचलन बदला है. लड़कियां भी अंतिम संस्कार की जिम्मेदारियां निभा रही हैं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You missed