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राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) से आतंकवाद विरोधी अभियानों में प्रशिक्षित कुल 200 उत्तर प्रदेश पुलिस कर्मी अयोध्या में राम मंदिर की सुरक्षा करेंगे.एनएसजी के बड़े अधिकारियों ने सीएनएन-न्यूज18 से इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि इन कमांडो को आतंकवाद विरोधी अभियानों, कमरे में घुसकर ऑपरेशन करने, बंधकों का बचाव, मोटरसाइकिल चलाने और लोगों की सुरक्षा में प्रशिक्षित किया गया है. इस नया प्रशिक्षित बल भव्य मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दिन 22 जनवरी के आसपास सीआरपीएफ से सुरक्षा का जिम्मा संभाल सकता है. इस ट्रेनिंग से परिचित एक अफसर ने कहा कि जब गुजरात में अक्षरधाम मंदिर पर हमला हुआ, तो एक सबक यह मिला कि सिक्योरिटी फोर्स पहले ही आतंकवादियों का पता लगाने में विफल रहीं.
इस अफसर के मुताबिक तब यह पाया गया कि मौके पर मौजूद पुलिस बल ही उनका मुकाबला करने के लिए सबसे बेहतर हैं. यूपी पुलिस को एनएसजी ने आतंकियों को एक इलाके में घेरने और घुसपैठियों को एक विशिष्ट इलाके में पकड़ने के लिए प्रशिक्षित किया है. जिससे वे अनियंत्रित होकर बड़े पैमाने पर नुकसान न पहुंचाएं. क्योंकि मुंबई हमले के समय कसाब को महाराष्ट्र पुलिस के एक कांस्टेबल ने ही पकड़ा था.
फिलहाल केंद्रीय बल अयोध्या में राम मंदिर जैसे संवेदनशील मंदिर की सुरक्षा की भूमिका निभाते हैं. यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य पुलिस और उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा बनाए गए विशेष सुरक्षा बल की क्षमता पर पूरा भरोसा जताया है. यह एक ऐसा मॉडल है जिसका अन्य राज्यों को भी अनुसरण करना चाहिए. एक दूसरे अधिकारी ने पुलिस को एनएसजी जैसी कमांडो ट्रेनिंग की जरूरत बताई. यूपी पुलिस के 50 कर्मियों के पहले बैच को एनएसजी ने अपने क्षमता निर्माण कार्यक्रम के तहत पिछले एक पखवाड़े में प्रशिक्षित किया था. इसके बाद 35 साल से कम आयु वर्ग के 200 कांस्टेबल, हेड कांस्टेबल, सब-इंस्पेक्टर और इंस्पेक्टरों को प्रशिक्षित किया गया है. एनएसजी अधिकारियों ने कहा कि वे अपने प्रशिक्षकों को यूपी भेज सकते हैं क्योंकि राज्य से अधिक प्रशिक्षण की मांग आई है.
आतंकवाद विरोधी प्रशिक्षण के तहत इन कमांडो को हमला होने पर तुरंत प्रतिक्रिया देना, मोटरसाइकिल चलाना, काफिले पर हमला होने की स्थिति में वीआईपी के साथ बचकर निकलना और हमला होने पर घुसपैठिए से बचना आदि के लिए विशिष्ट प्रशिक्षण दिया गया है. अधिकारियों ने कहा कि इनको छोटे कैलिबर वाले हथियारों का प्रशिक्षण दिया गया है. क्योंकि मंदिर जैसी भीड़-भाड़ वाली जगह पर असॉल्ट राइफल की गोली के भटक जाने की संभावना अधिक होती है. एक अधिकारी ने बताया कि हालांकि आतंकवादी एक असॉल्ट राइफल ले जा सकता है, मगर कमांडो को छोटे कैलिबर हथियार ले जाने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है, लेकिन वह लक्ष्य पर सटीकता से हमला करता है.