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एक ऐसा नाम जिससे काँपजाते थे लोग,कोर्ट रूम में ही IPS पर कर दी थी फायरिंग, पूर्व अधिकारी ने सुनाई उसके जुर्म की दास्तान,

ByManish Kumar Pal

Mar 29, 2024

NEWS NATIONAL

यूपी के लोगों ने वो दौर भी देखा है जब मुख्तार के आतंक से सब कांप जाया करते थे.लेकिन अंत भला तो सब भला,उत्तर प्रदेश के बांदा जेल में बंद माफिया डॉन मुख्तार अंसारी की हार्ट अटैक की वजह से मौत हो चुकी है, हलाकि मुख्तार पहले से भी काफी बीमार था.
यूपी पुलिस के पूर्व आईजी उदय शंकर जयसवाल ने मुख्तार अंसारी के खौफ और जुर्म की वो दास्तान सुनाई है जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे.

‘किसकी औकात है जो मुख्तार की गाड़ी की चेकिंग करे’

ये कहानी 27 फरवरी 1996 की है. तब उदय शंकर जयसवाल गाजीपुर के एडिशनल एसपी हुआ करते थे. उन्होंने कहा, घटना 27 फरवरी 1996 की है, दिन में करीब 12:30 बजे कोतवाली थाना क्षेत्र के लंका बस स्टैंड पर ड्यूटी में थे. डिग्री कॉलेज में छात्रसंघ चुनाव चल रहे थे. पुलिस को इनपुट मिला था कि एक गाड़ी UP 61/8989 में हथियार के साथ कुछ लोग गड़बड़ी कर सकते हैं.

उदय शंकर जयसवाल ने बताया, पुलिस चेकिंग कर रही थी. इसी बीच में इंस्पेक्टर ने एक गाड़ी को रोका. उस जीप पर बसपा जिलाध्यक्ष लिखा हुआ था और मुख्तार अंसारी उसमें सवार था. गाड़ी रोकते ही मुख्तार अंसारी ने कहा कि किसकी औकात है जो मुख्तार की गाड़ी की चेकिंग करे और यह कहते हुए फायरिंग शुरू कर दी.

अलग था मुख्तार अंसारी का मॉडस ऑपरेंडी

पुलिस ने जवाबी कार्रवाई करते हुए फायरिंग की जिसके बाद मुख्तार की गाड़ी में गोली लगने से वो पंचर हो गई. उसकी गाड़ी से कूदे एक शख्स को पैर में गोली लगी लेकिन मुख्तार तीन पहियों पर ही जीप लेकर मौके से भाग गया.

पुलिस ने जब घायल व्यक्ति को जेल पहुंचाया तो पता चला वह गाजीपुर जेल का सिपाही साहब सिंह था और वो अपनी लाइसेंसी राइफल के साथ था. इतना ही नहीं मुख्तार अंसारी की एक अन्य गाड़ी से एक दूसरे जेल सिपाही उमाशंकर की 315 बोर की एक बंदूक भी मिली.

पूर्व आईपीएस अधिकारी ने कहा, ‘मुख्तार अंसारी का यही मॉडस ऑपरेंडी था. वह जेल के सिपाहियों को गाय-भैंस खरीद कर देता था, उनके लिए हथियार के लाइसेंस बनवाता था और यही जेल के सिपाही 8 घंटे की ड्यूटी के बाद मुख्तार अंसारी के साथ अपनी लाइसेंसी बंदूक के साथ सुरक्षा में चलते थे.

मुख्तार के काफिले में पीछे एक और जिप्सी UP70D4525 थी. इस जिप्सी का पहला मालिक अतीक अहमद था जिसे उसने 3 साल पहले 29 अक्टूबर 1993 को तेलियरगंज के सुरेश चंद शुक्ला को बेची थी, लेकिन इस जिप्सी में क्रॉस फायरिंग के बाद जो लोग थे वह अतीक अहमद के ही बताए गए.

जब मुख्तार ने कोर्ट रूम में चलाई थी गोली

इस घटना के दौरान जिस जोंगा जीप में मुख्तार अंसारी सवार था वह जेके इंडस्ट्रीज नई दिल्ली के नाम पर रजिस्टर्ड था और उसका सेल लेटर मुख्तार अंसारी के गुर्गे और मौजूदा समय में दो लाख के इनामी बदमाश शाहबुद्दीन के नाम पर था. हालांकि यह गाड़ी शहाबुद्दीन के नाम पर ट्रांसफर नहीं हुई थी.

इसके अलावा उन्होंने बताया कि एक मामले में पेशी के दौरान मुख्तार अंसारी से कोर्ट रूम में उनका सामना हो गया था जिसके बाद उसने उन पर वहीं फायरिंग कर दी थी. इस मामले में मुख्तार अंसारी को 10 साल कैद की सजा मिली थी.

पूर्व आईपीएस अधिकारी ने कहा, ‘कृष्णानंद राय हत्याकांड, नंद किशोर रूंगटा हत्याकांड या फिर मेरे ऊपर जो हमला हुआ, इन सभी केस में मुख्तार अंसारी ने गवाहों को तोड़कर, धमकाकर या उनकी हत्या करवाकर छूट गया. यह उसके सिंडिकेट और सिस्टम का ही परिणाम था लेकिन अब उसको सजा मिली थी क्योंकि परिस्थितियां बदल गई हैं.’

आईजी उदय शंकर जयसवाल ने कहा कि मुख्तार अंसारी अतीक अहमद से ज्यादा खतरनाक था. उसकी बात पर कभी भरोसा नहीं किया जा सकता था क्योंकि वह बेहद शातिर था.

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