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दिल्ली के राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल में रिश्वतखोरी रैकेट का बड़ा खुलासा सीबीआई ने किया है। घटनाक्रम से संबंधित लोगों ने बताया कि अस्पताल में मरीजों और मेडिकल इक्विपमेंट सप्लायर से डॉक्टर और कई अन्य कर्मचारी रिश्वत वसूलते है,
सीबीआई ने अस्पताल सहित 15 स्थानों पर तलाशी ली। जिसके बाद डॉक्टरों, आरएमएल के क्लर्कों, निजी बिचौलियों और मेडिकल इक्विपमेंट सप्लायर समेत लगभग 9 लोगों को गिरफ्तार किया।
आरएमएल के कार्डियोलॉजी विभाग के एक प्रोफेसर और एक सहायक प्रोफेसर, एक वरिष्ठ तकनीकी प्रभारी, एक नर्स, दो क्लर्क, कई निजी मेडिकल इक्विपमेंट सप्लायर कंपनियों और अज्ञात सरकारी सेवकों को नामित किया है।
गिरफ्तार लोगों में कौन-कौन शामिल?
आरएमएल रिश्वत मामले में सीबीआई ने जिन लोगों को नामित किया है, उनमें डॉ. पर्वत गौड़ा (सहायक प्रोफेसर, कार्डियोलॉजी विभाग), डॉ. अजय राज (कार्डियोलॉजी में प्रोफेसर), रजनीश कुमार (वरिष्ठ तकनीकी प्रभारी, आरएमएल में कैथ लैब), शालू शमा (नर्स) भुवाल जयसवाल और संजय कुमार गुप्ता (दोनों क्लर्क), और 4 मेडिकल इक्विपमेंट कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाले 5 निजी व्यक्तियों को शामिल किया है।
सीबीआई ने लगाए ये आरोप
एजेंसी ने डॉ. पर्वत गौड़ा और डॉ. राज द्वारा नरेश नागपाल, अबरार अहमद, आकर्षण गुलाटी, मोनिका सिन्हा और भरत सिंह दलाल जैसे निजी आपूर्तिकर्ताओं से उनके द्वारा आपूर्ति किए गए चिकित्सा उपकरणों के उपयोग की अनुमति देने या उनके प्रचार के लिए रिश्वत मांगने और स्वीकार करने के उदाहरणों को सूचीबद्ध किया है। क्लर्क भुवाल जायसवाल और नर्स शालू शर्मा के बारे में, सीबीआई ने आरोप लगाया है कि वे भी भ्रष्ट और अवैध गतिविधियों में शामिल हैं।
सफदरजंग अस्पताल में भी हुआ था घोटाला
दिल्ली के किसी टॉप सरकारी अस्पताल में उजागर हुआ, यह दूसरा रिश्वतखोरी घोटाला है। इससे पहले, पिछले साल मार्च में, सीबीआई ने मरीजों को एक विशेष प्रतिष्ठान से अत्यधिक कीमतों पर सर्जिकल उपकरण खरीदने के लिए मजबूर करने के आरोप में सफदरजंग अस्पताल के न्यूरोसर्जन डॉ. मनीष रावत को उनके चार सहयोगियों के साथ गिरफ्तार किया था।