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रोशनाबाद हरिद्वार प्रसाशन के सबसे नजदीक एक गाँव बसा है इसी गाँव से लगभग 8 किमी कि दूरी पर बीएचईल फैक्ट्री है जिसे भारत रत्न भी कहा जाता है वो स्थापित है, अब से लगभग 70 साल पहले इस गाँव को इसी फैक्ट्री ने गोद लिया और यहाँ जीवन यापन को सुचारु रूप से चलाने के लिये रास्तों कि पानी कि तालाब कि व्यवस्थाएं कि जिससे यहाँ गरीब लोगों को काफी हद तक राहत मिली, जैसे जैसे समय बदलता गया यहाँ व्यवस्थाओं के उतार चढ़ाव आते रहे,
हम बात कर रहे है प्रसाशन के सबसे नजदीक बसे गाँव रोशनाबाद कि जिसके पास जिला हरिद्वार के वो तमाम अधिकारी मौजूद है जो अपनी योग्यता के होते जिले को ही नही पुरे राज्य और देशभर को चलाने कि क्षमता रखते है, लेकिन दुर्भाग्य कि उनके सबसे नजदीक का गाँव रोशनाबाद आज यतिमो का जीवन गुज़ार रहा है, किसी भी गाँव को सुन्दर बनाने के लिये सबसे पहले उस गाँव कि सड़के सुधारी जाती है, बेवजह का अतिक्रमण हटाया जाता है, तालाबों का सौन्दर्य करण किया जाता है,स्वछता कि और ध्यान दिया जाता है लेकिन इस गांव मे न तो अब सड़के बची है और न ही तालाब कुवें यहाँ तक कि जगह जगह अवैध अतिक्रमण चारों और बेझिझक बेरोकटोक फैल चूका है, जिसका संज्ञान लेने वाला भी कोई नही,गंदे पानी कि निकासी बंद हो चुकी है, नालियाँ नाले या तो कब्जा लिये गये है याँ फिर टूट फुट होकर बंद हो चुके है,
रोशनाबाद के सभी पक्के रास्ते, खड़ंजे व सड़के हो चुकी है खंडर, वाहन हो चुके है घरों मे पैक,
पिछले लगभग 5 महीनों से रोशनाबाद कि हर गली, हर सड़क मुख्य मार्ग खंडर बन चुके है, गंदा पानी टूटी फूटी सड़कों पर बहने लगा है, जगह जगह अस्वछता फैल चुकी है, गन्दगी के ढेर लग चुके है, लेकिन दुर्भाग्य कि न तो यहाँ इस मुद्दे पर आवाज उठाने वाला कोई नेता है और न ही कोई समाज सेवक यहाँ तक कि इस गाँव मे कोई ऐसा युवा तक नही जो सामने आकर इस मुद्दे पर आवाज उठा सके, जोकि दुर्भाग्य का भी दुर्भाग्य है जिस कारण किसी को यहाँ के लोगों कि परेशानी से कोई मतलब नही, लोग टूटी फूटी सड़को से गिर पडकर जैसे तैसे निकलते है, इस गाँव मे न कोई सफाई है न कोई व्यवस्था है, न यहाँ कोई प्रधान है न कोई व्यवस्थापक न कोई संरक्षक, जो यहाँ कि समस्याओं पर आवाज उठा सके,
आखिर यहाँ के विकास का और यहाँ कि व्यवस्थाओं का धन सरकार अगर दे भी रही है तो किसे दे रही है, और हिसाब किताब है भी तो फिर किसके पास है?कौन है जो यहाँ कि बिगड़ती व्यवस्था का जिम्मेदार है,
दुर्भाग्य यह भी है कि जिस देश का क्षेत्र का युवा गूंगा बहरा निर्जीव व बेजान होगा, न तो वहाँ कोई आवाज उठेगी और न ही उस क्षेत्र मे कोई विकास होगा, रोशनाबाद ऐसा ही एक क्षेत्र है जहाँ उस युवा वर्ग कि कमी है जो न तो अपने क्षेत्र के विकास कि आवाज उठा पाता है और न ही सही नेता चुनने कि शक्ति व क्षमता रखता है,यहाँ तक कि कोई सवाल तक नही कर सकता, जिसके कारण आज ये गाँव रोशनावाद व्यवस्थाओं के आभाव मे यतिमो का जीवन गुज़ार रहा है,