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Haridwar / कावड़ ड्यूटी के दौरान किसी भी प्रसाशनिक अधिकारी या कर्मचारी को खाना खाने की भी फुरसत नही, जहाँ देखो जिम्मेदारी से अपनी ड्यूटी को अंजाम दे रहे है, जिनके पास इस वक्त स्वयं की वर्दी बदलने तक का समय नही, तो फिर कैसे मजारो और मस्जिदों पर इनके द्वारा पर्दे लगा दिये गये? जबकि इस पुरे बवाल मे अभी तक किसी भी प्रसाशनिक अधिकारी का न तो कहीं नाम आया है और न ही किसी ने इस पुरे प्रकरण की जिम्मेदारी ही ली है,
जबकि जिस चैनल पर देखो यहीं एक मुद्दा चल रहा था , अब तक की मिली जानकारी के अनुसार यह तो स्पस्ट हो चूका है की मात्र एक या दो जगह मस्जिदों और मजारो के सामने पर्दे लगे थे लेकिन किसी की धार्मिक भावना को कोई ठेस पहुंचे ऐसा किसी का इरादा नजर नही आया ,लेकिन प्रसाशनिक अधिकारियों को इस बात की कोई जानकारी नही थी, क्योंकि इस समय प्रसाशन की ड्यूटी युद्ध स्तर पर शुरू हो चुकी है,
“अधिकारीक सूत्रों के द्वारा मिली जानकारी के अनुसार किसी भी अधिकारी के द्वारा पर्दे लगाने का कोई आदेश जारी हुआ ही नही, बल्कि ज़ब प्रसाशन को इस बात की सूचना मिली तो उन्होंने यहाँ भी एक जिम्मेदार अधिकारी होने के साथ कुछ ही देर मे उन पर्दों को हटवा दिया,”
पुलिस प्रसाशन की अगर बात करें तो इस समय करोड़ों शिवभक्त श्रद्धालुओं की जिम्मेदारी पुलिस के कंधो पर है, ये सभी श्रद्धांलू भलेनाथ के भरोसे और पुलिस प्रसाशन की व्यवस्थाओं के कारण ही सुरक्षित है, कई बार कावडियों के भेष मे उपद्रवियों को तोड़फोड़ करते देखा गया, ऐसे असामाजिक तत्वों को भी प्रसाशन द्वारा बहुत अच्छे से हेंडल किया गया, कहीं किसी कावड़िये भक्त को कोई परेशानी न हो किसी की कावड़ खंडित न हो इस बात को पुलिस प्रसाशन पुलिस ड्यूटी से हटकर सामाजिक स्तर पर अपनी जिम्मेदारी समँझ रहा है,
हौसला, हिम्मत और शक्ति ये तीनो ही एक दूसरे के प्रयायवाची समझे जाते है जिस कठिन और चुनौती भरे समय मे प्रसाशन ड्यूटी निभा रहा है, उस समय कुछ सामाजिक लोग प्रसाशन की हिम्मत बढ़ा रहे है और उनके साथ एसपीओ बनकर ड्यूटी दे रहे है,लेकिन इसी के विपरीत कुछ ऐसे लोग भी है जो इस समय बिलकुल फ्री है वो उल्टी सीधी झूठी खबरें फैला कर प्रसाशन की हिम्मत,हौसला और शक्ति तीनो को तौड़ने का प्रयास कर रहे है
आम लोगों की अगर माने तो कई स्थान ऐसे भी है जहाँ हिन्दू नही बल्कि मुस्लिम लोग कवड़ियों की सेवा मे तत्पर है, कवड़ियों को किसी प्रकार की कोई परेशानी न हो इस बात का वहाँ विशेष ध्यान रखा जा रहा है, दूसरी और ऐसे भी कावड़िये है जो हरिद्वार गंगा स्नान के बाद कलियर मजार पर भी पहुंचे , जोकि भाईचारे की एक बहुत बड़ी मिसाल मानी जा रही है, सच यहीं है कि आम आदमी और व्यस्त प्रसाशन को इन बातो से कोई परहेज है ही नही तो फिर क्यों कुछ लोग प्रसाशन को मोहरा बनाकर पर्दे के पीछे ऐसे असामाजिक कार्य को अंजाम दे रहे है या फिर राजनितिक रोटियां सेकने का प्रयास कर रहे है,