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रोशनाबाद / हरिद्वार का ये एक गाँव ऐसा है जिसके चारों और विकास ही विकास नजर आता है लेकिन इस गाँव मे ना तो अब सडके बची है और ना ही बंजर भूमियाँ, सबसे बड़ा अगर कोई दुर्भाग्य है तो वो है ग्राम विकास योजनाये जिनसे ये गाँव हमेशा से वँचित नजर आ रहा है, जहाँ ना तो कोई विकास योजना नजर आती है और ना ही आज तक यहाँ ये मालूम हो पाया है की इस गाँव का पालनहार कौन है? ना तो इस गाँव मे कभी ग्राम प्रधान के दर्शन होते है और न ही उन अधिकारियों के जिनके अंतर्गत विकास योजनाओं के पूर्ण होने के बाद उनकी जाँच की जाती है, वैसे तो ये एक बहुत बड़ा खेल है और खेल की इस चैन मे बहुत से नेता और अधिकारी लॉकेट बन कर लटक रहे है,जो ग्राम विकास की योजनाओ के पैसे को ठिकाने लगाने का काम कर रहे है,और इस चैन की हर कड़ी और लॉकेट को ये भी अच्छे से मालूम है की न तो इस विषय पर ग्रामीण क्षेत्रों मे कभी कोई गंभीर जाँच हुई है और न ही यहाँ कोई आवाज उठाने वाला है और शायद आगे भी न हो,
रोशनाबाद ये वहीँ गाँव है जहाँ जिले का सबसे बड़ा खेल स्टेडियम है,ये वही रोशनाबाद है जहाँ से देश की बेटी वंदना कटारिया भारतीय महिला हॉकी टीम मे खेलकर देश का नाम रोशन कर रही है, ये वहीँ गाँव है जिसके बिलकुल नजदीक विकास भवन,जिला मुख्यालय और शहर के सभी अधिकारीगण मौजूद है,वावजूद इसके आज इस गाँव की वो दुर्दशा हो चुकी है की ना तो गाँव की सड़को पर कोई वाहन चल सकता है और ना ही इन सड़कों से गंदगी हट रही है, हालात ये हो चुके है की जिन लोगों के पास धन की कमी नही है आज इन परेशानियों से बचने के लिये वो गाँव छोड़ गाँव के बाहर घर बना कर यहाँ से निकल रहे है,गाँव की सड़को पर लोगों का भारी नुकसान भी होने लगा है इन सड़कों पर पैदल चलना भी मुनासीब नही है ऐसे बहुत से ग्रामवासी है जिनकी गाड़ियाँ टूट फुट कर या तो घरो मे ख़डी है या फिर सर्विस सेंटर,
आखिर कहाँ है प्रधानमन्त्री की ग्राम विकास व सौंदर्य करण की वो योजनाये जो कागजो मे सवार है,
सवाल ये है की पिछले कई सालो से प्रधानमन्त्री मंत्री सड़क योजनाये,ग्राम विकास योजनाए, स्वच्छ भारत की योजनाए और न जाने कितनी पंचायत योजनाए है जो या तो टीवी चैनलों मे नजर आती है या मुख्य अखबारो के विज्ञापनो मे, लेकिन धरातल पर वो कितनी नजर आती है अगर इसका शत प्रतिशत अनुमान लगाना है तो आप हरिद्वार प्रसाशनिक भवन के सबसे नजदीक के गाँव रोशनाबाद मे आगमन कीजिये आपके सामने दूध का दूध और पानी का पानी होते कतई देर नही लगेगी और आप निश्चित रूप से हैरान होकर इस गाँव की दुर्दशा पर हैरान हो जाएंगे,और सबसे बड़ी हैरानी होगी इस बात पर की आखिर ऐसी कौन सी मजबूरी है जिसके चलते इस गाँव के लोग इस गाँव का युवा अपने ही गाँव की दुर्दशा पर मौन क्यों है?
पिछले सात महीने से क्षतिग्रस्त फटी फड़ी है रोशनाबाद की सडके,ग्राम वासी बने है तमाशबिन,
हैरानी की बात ये है की रोशनाबाद की सड़के पिछले लगभग सात महीनों से पूर्ण रूप से फटी पड़ी है और ये करतूत है जल निगम की जो ना तो समय से अपना कार्य पूरा कर रहा है और ना ही सड़के ठीक हो रही है लोग इन टूटी फूटी सड़को पर हादसों का शिकार हो रहे है स्कूल के बच्चे,ओरते और वृद्ध लोगों के लिये तो ये रास्ते और सडके अभिशाप बन रही है,