• Wed. Dec 18th, 2024

हरिद्वार मे कहाँ से आ रहे ये बेलगाम खतरनाक शिकारी जो इस पेशे कि आढ़ लेकर शाधते है निशाना, ना कोई योग्यता ना कोई शिक्षा ओर निशाना भी अचूक, रोज निकलते है शिकार कि तलाश मे, जानिये क्या है ये पूरा मामला,

ByManish Kumar Pal

Dec 6, 2024

न्यूज नेशनल – समाचार पत्रिका व अखबार 

हरिद्वार विशेष – प्रशिक्षण भी सिर्फ एक ही की शिकार कहाँ ओर कैसे मिलेगा,ओर इस प्रशिक्षण क़ो प्राप्त करने के लिये भी ज्यादा समय नही लगता, ऐसे बहुत से अखबार ओर पोर्टल धड़ाधड़ खुल रहे है जिन्हे अपने अखबार ओर पोर्टलो के खर्च उठाने के लिये ऐसे ही शिकारियों क़ो भर्ती करने कि जरूरत पड़ती है उन्हें शिकार मारकर लाने की ट्रेनिंग दी जाती है अब आप यह भी सोच रहे होंगे कि आखिर ये ट्रेनर है कौन तो आपको बता दें कि ये वही लोग है जो अपने अखबरों व निजी चैनलों के खर्च उठाने मे सक्षम नही ,हालाकी इन शिकारी फ़र्ज़ी पत्रकारों का ना तो उच्च स्तरीय शिक्षा से कोई संबंध होता है ओर ना ही किसी योग्यता से कोई वास्ता, यहाँ तक की अगर किसी का शिकार करने के लिये गलती से इन्हे कभी कोई खबर लिखनी भी पड़ जाये तो आप उसी खबर मे कविता,निमंत्रण, प्रार्थना पत्र ओर शोक सन्देश भी पढ़ सकते है, पचास लाइन कि एक खबर मे पचास गलतियां कोई बड़ी बात नही,इन्हे खुद मालूम नही होता की शब्दों की सीमा ओर उनका मतलब क्या होगा, बस एक पोर्टल खोलने की देरी है ओर आप बन गये पीत पत्रकारिता करने वाले शिकारी पत्रकार जिन्हे सामान्य भाषा मे फ़र्ज़ी, ब्लैकमेलर, माफिया,असामाजिक ओर भी ना जाने किन किन नामो से नवाजा जा सकता है,
वास्तव मे पत्रकारिता के स्तर क़ो गिराने मे इन फ़र्ज़ी व शिकारियों की आज सबसे बड़ी भूमिका नजर आ रही है,जो पत्रकारिता के सम्मान क़ो ठेस तो पहुंचा ही रहे है साथ ही राहु केतु ओर ग्रहण बनकर पत्रकारिता क़ो कलंकित करने का कार्य पूरी ईमानदारी ओर मेहनत से कर रहे है,

एक समय था ज़ब पत्रकार क्षेत्र की समस्याओं क़ो उठाकर उनके विकास ओर समाधान पर बात करता था, समाज मे घटने वाली सही ओर गलत घटनाओ के विषय से जनता क़ो अवगत कराता था, कलम ओर अखबार के माध्यम से सरकार बनाने ओर गिराने की ताकत भी रखता था, फिर ऐसा क्या हुआ की ना तो आज पत्रकार क़ो सम्मान मिलता है ओर ना ही मेहनताना? तो उसका कारण भी यही असामाजिक तत्व है तो पत्रकारिता की आढ़ लेकर आज अपराधिक गतिविधियों क़ो बढ़ावा दे रहे है या फिर स्वयं असामाजिक,अनैतिक व अपराधिक गतिविधियों मे लिप्त है,

पहले बनो पत्रकार फिर पत्रकारिता की आढ़ मे जो करना है करो,

अगर आपको कोई भी अवैध व गैर कानूनी कार्य करना है तो आप पत्रकारिता की आढ़ ले सकते है क्योंकि कानून की नजर मे आज भी यह एक ऐसा पेशा है जिसमे काम करने वाले व्यक्ति विशेष क़ो समाज, सामाजिक व चरित्रवान् समझता है क्योंकि जो पत्रकारिता का पेशा कर रहा है वो गलत करता ही नही बल्कि गलत के लिये आवाज उठाता है बस इसी बात के लिये कानून, प्रसाशन,समाज आज सब गुमराह है ओर असामाजिक तत्व माफिया इस बात से भलीभांति परिचित है की सिर्फ एक पत्रकारिता ही है जिसकी आढ़ मे वो अपने गैर कानूनी कामो क़ो अंजाम दे सकते है,क्योंकि यहाँ ना तो शिक्षा कि जरूरत है ओर ना ही योग्यता कि,श्री मान मै पत्रकार हूँ ये एक शब्द कहीं ना कहीं किसी भी कार्यवाही करने वाले व्यक्ति विशेष क़ो एक कदम पीछे हटने क़ो मजबूर कर ही देता है,

अब समझ लिजिये की आखिर पत्रकारिता क़ो ही क्यों मोहरा बना रहे है ये माफिया ओर फ़र्ज़ी पत्रकार,

ये देश का बहुत बड़ा दुर्भाग्य है की पत्रकारिता मे दाखिल होने वालों क़ो ना तो किसी योग्यता की आवश्यकता पडती है ओर ना ही उनकी शिक्षा का कोई आंकलन किया जाता है किसी भी अन्य विभाग मे शिक्षा ओर योग्यता के प्रमाण दाखिल करने पड़ते है लेकिन पत्रकारिता मे नही, बस यहीं कारण है की आज कोई भी ऐरा गैरा मुँह उठाकर पत्रकारिता के पवित्र पेशे से खुलकर खिलवाड़ कर रहा है, ना सरकार की ओर से कोई जाँच ना कोई कदम ना कोई लगाम ओर यहाँ तक कि ना ही कोई विचार,

आपको बता दें की पत्रकारिता भी दो हिस्सों मे विभाजित है श्वेत पत्रकारिता ओर पीत पत्रकारिता,

पहली श्वेत पत्रकारिता जिसमे पढ़े लिखें अनुभवी व डिग्री डिप्लोमा धारक पत्रकार जो निजी हितो की न सोचकर समाज क़ो जागरूक करने, विकास के कार्यो की ओर सरकार का ध्यान केंद्रित करने, जनता की परेशानी पर सवाल उठाने या फिर सही क़ो सही ओर गलत क़ो गलत लिखने का बेखौफ कदम उठाते है वह भी निस्वार्थ, ये वही पत्रकार है जो योग्य भी है ओर शिक्षित भी, जो ना तो सम्मान के साथ समझौता करते है ओर ना ही कोई झिझक रखते है,

दूसरी वो पीत पत्रकारिता जिस पर आज हम बात कर रहे है, ये वो पत्रकारिता है, जिसमे,माफिया,असामाजिक तत्व, अपराधिक प्रवर्ति के लोग, गैर कानूनी कामो क़ो अंजाम देने वाले लोग,निजी स्वार्थ के लिये काम करने वाले लोग, दुसरो क़ो हानि पहुँचाने वाले लोग, गलत की गुलामी करने वाले लोग, समाज क़ो गुमराह कर झूठी खबरें प्रकाशित करने वाले लोग ओर पत्रकारिता की आढ़ मे सिर्फ ओर सिर्फ ब्लैकमैलिंग करने वाले अयोग्य,अशिक्षित वे फ़र्ज़ी लोग शामिल होते है जो स्वयं क़ो पत्रकार कहते है या पत्रकारिता की शरण लेते है, जिनकी जेब मे कई तरह के फ़र्ज़ी प्रेस कार्ड भी मिलते है ओर गाड़ियों पर अवैध व झूठे प्रेस स्टिकर भी,

       ” एक प्रणाणित व योग्य पत्रकार क़ो ना तो किसी नेता व अधिकारी क़ो गुलदस्ता देने की आवश्यकता होती है ओर ना ही उनके साथ फोटो खिंचवाकर फेसबुक, इंस्टाग्राम ओर स्टेटस पर उपलोड कर अपना परिचय देने की जरूरत पड़ती है, ऐसे पत्रकार वास्तव मे अपने आस पास के लोगों पर प्रभाव डालने के लिये ऐसी ओच्छी हरकतें करते नजर आते है, वास्तव मे आप पत्रकार नही बल्कि एक छोटी मानसिकता के गुलाम है जिन्हे अपने निजी व गलत कामो क़ो अंजाम देने के लिये पहले तो पत्रकारिता की शरण लेनी पड़ती है ओर उसके बाद बेवजह अधिकारियों के दफ़्तरो मे जाकर उनके साथ फोटो सेशन ओर चाय पीकर जबरन अपनी उपस्तिथि का ढिंढोरा पीटना पड़ता है,”
ये सब पीत पत्रकारिता मे शामिल किया गया है,

अब केंद्रीय सरकार क़ो कुछ ऐसे कदम उठाने कि आवश्यकता है जिससे ऐसे पत्रकारो कि छटनी हो सके जो पत्रकारिता के लिये तो खतरा है ही साथ ही समाज क़ो भी गुमराह करते है, ओर ऐसे लोगों का पत्रकारिता से संबंध खत्म हो जो अयोग्य ओर अशिक्षित हो, अगर पत्रकारिता मे दाखिल होना है तो उससे पहले प्रमाणित योग्यता व शिक्षा आवश्यक हो,

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You missed