न्यूज नेशनल / पत्रिका व अखबार
प्रयागराज मे चलने वाले महाकुम्भ में इस बार अधिक संख्या में कल्पवासी सेजिया(शय्या) दान करेंगे। इसके लिए कल्पवासी शिविरों में तैयारी शुरू हो चुकी है।बता दें कि 12 फरवरी को माघी पूर्णिमा पर कल्पवास समाप्त होगा। उससे एक सप्ताह पूर्व से ही सेजिया दान की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
तीर्थपुरोहितों के अनुसार महाकुम्भ से महाकुम्भ तक किया गया कल्पवास और सेजिया दान का संकल्प अधिक फलदायी माना जाता है। इसलिए कल्पवासी माघी पूर्णिमा पर विदाई से पूर्व अपने दैनिक जीवन में उपयोग की जाने वाली सामग्री का विधिविधान से दान संकल्प करके तीर्थपुरोहितों से आशीष प्राप्त करेंगे।
साथ ही जन्म-जन्मांतर से मुक्ति और परिवार के सुख-समृद्धि की कामना करेंगे। आस्था के सबसे बड़े मेले में इस बार लगभग 10 लाख श्रद्धालु कल्पवास कर रहे हैं। तीर्थपुरोहितों के अनुसार लगभग 80 से 90 हजार कल्पवासी सेजिया दान करेंगे। संत ब्रज गोपाल मिश्र ने बताया कि कल्पवासी अपने सामर्थ्य के अनुसार दान करेंगे।
दान के लिए सामग्री की खरीदारी हो चुकी है शुरू
सेक्टर 16 में कल्पवास कर रहे सुल्तानपुर के ओम प्रकाश ने बताया कि 2013 के कुम्भ में कल्पवास का संकल्प लिया था। उसके बाद से हर साल माघ में कल्पवास करता रहा लेकिन इस बार सात फरवरी को सेजिया दान करूंगा। शिविर में कल्पवास कर रहे तीन साथी भी शय्या दान करेंगे।
84 तरह के दान में सेजिया दान विशिष्ट
सेक्टर 16 में एक विशेष भक्त कल्पवास कर रहे अपनी पत्नी के साथ सेजिया दान करेंगे। उन्होंने 2013 के कुम्भ में संकल्प लिया था। उन्होंने बताया कि सेजिया दान की तैयारी एक माह पहले ही कर दी थी। तीर्थराज प्रयागराज में सदियों से दान की विशिष्ट परंपरा रही है। तीर्थ स्थान में 84 तरह के दिए जाने वाले दान में सेजिया दान प्रमुख दान है। मान्यता है कि सेजिया दान से इस लोक में कल्याण और परलोक में मोक्ष की प्राप्ति होती है।
क्या होता है सेजिया दान
सेजिया दान का मतलब है, शय्या दान. यह दान पितरों को विदाई के लिए किया जाता है. सेजिया दान, महाकुंभ में किए जाने वाले 84 दानों में से एक है. महाकुंभ के दौरान कल्पवासी, अपने दैनिक जीवन में इस्तेमाल होने वाली चीज़ों का दान करते हैं,यह दान श्रद्धालु इसलिए करते हैं कि परलोक में उन्हें सुख मिले। इस लोक में कल्याण और परलोक में सद्गति के लिए यह दान किया जाता है। हाथी, घोड़ा, पालकी, गाय, मोटर-कार, जैसे वाहन तीर्थ पुरोहितों को माघ मेले या कुंभ योग के समय मिलते हैं। उन्हें जमीन और भवन भी दान में मिलता है।