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हरिद्वार, 3 अगस्त – हरिद्वार के रोशनाबाद और सूर्यनगर क्षेत्र में स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी और प्रशासन की निष्क्रियता के चलते अवैध मेडिकल स्टोर, अवैध क्लिनिक और झोलाछाप डॉक्टरों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। हैरानी की बात यह है कि इन जगहों पर नशीली दवाओं की भी गुप्त रूप से बड़े स्तर पर बिक्री हो रही है, जिससे युवाओं में नशे की लत तेजी से फैल रही है।
स्थानीय निवासियों ने बताया कि कई मेडिकल स्टोर बिना लाइसेंस के संचालित हो रहे हैं और वहां नशे के रूप में प्रयोग की जाने वाली प्रतिबंधित दवाएं आसानी से उपलब्ध हैं। यह सब कुछ स्वास्थ्य विभाग व प्रशासन की जानकारी मे ना हो ऐसा मुमकिन इसलिए नही क्योंकि जिस स्थान पर ये कारनामे चल रहे है वो बिलकुल स्वास्थ्य विभाग कि जड़ मे है या यूँ कहे कि एक किमी कि दूरी पर स्तिथ है,परन्तु दुर्भाग्य कि यहाँ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है।
प्रशासनिक लापरवाही या मिलीभगत?
सवाल यह उठता है कि क्या यह लापरवाही मात्र संयोग है या फिर किसी मिलीभगत का नतीजा? रोज़ाना कई युवा इन मेडिकल स्टोर्स से प्रतिबंधित नशीली दवाएं खरीद रहे हैं।
आश्चर्यजनक बात यह है कि जहाँ ये अवैध मेडिकल व क्लिनिक चल रहे है इनमें से अधिकांश स्थानों पर न तो कोई योग्य डॉक्टर मौजूद है, न ही संचालकों के पास चिकित्सा से जुड़ी कोई डिग्री या प्रशिक्षण है।
सूत्रों के अनुसार, कई मेडिकल स्टोर बिना रजिस्ट्रेशन के चलाए जा रहे हैं, जहाँ बडी सावधानी ओर गुप्त रूप से नशे की दवाइयाँ बेची जा रही हैं। वहीं, तथाकथित “डॉक्टर” बिना किसी मेडिकल ज्ञान के इंजेक्शन, दवाइयाँ व इलाज कर रहे हैं, जिससे कई लोगों की सेहत पर गंभीर असर पड़ा है।ओर पिछले कईं सालों से यहाँ इन डॉक्टरों के हाथों अप्रिय घटनाये भी लगातार घट रही है,
स्थानीय निवासियों कि अगर बात करें तो उनका कहना है कि उन्होंने कई बार प्रशासन को इसकी शिकायत दी, लेकिन अब तक कोई सख्त कार्रवाई नहीं हुई है। स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से ही इन झोलाछाप डॉक्टरों के हौसले इतने बुलंद हैं।कि बिना रोकटोक ये अपने काम को अंजाम दें रहे है,
विशेषज्ञों की राय:
वरिष्ठ चिकित्सकों का कहना है कि इस तरह के अयोग्य लोगों द्वारा इलाज करना न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि यह जीवन से खिलवाड़ है।
बता दें कि इलाके के स्कूलो के आसपास भी इन क्लीनिकों का प्रभाव बढ़ता जा रहा है, जिससे अभिभावकों में भारी चिंता देखी जा रही है।
वहीं स्थानीय लोगों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि जिलाधिकारी व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के संज्ञान मे रहते इन अवैध मेडिकल स्टोर्स और क्लीनिकों के खिलाफ सघन जांच अभियान चलाया जाए और दोषियों को कड़ी सजा दी जाए।
यदि समय रहते इन पर लगाम नहीं लगाई गई तो यह समस्या एक बड़े सामाजिक संकट का रूप ले सकती है।