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रोशनाबाद / हरिद्वार जनपद का रोशनाबाद क्षेत्र इन दिनों झोलाछाप डॉक्टरों और अवैध रूप से संचालित क्लिनिकों का अड्डा बनता जा रहा है। जहां एक ओर उत्तराखंड सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही है, वहीं दूसरी ओर इसी राज्य के भीतर प्रशासनिक लापरवाही के चलते अवैध चिकित्सा धंधे खुलेआम फल-फूल रहे हैं। यह न सिर्फ कानून का मखौल है बल्कि लोगों की जान के साथ भी खुला खिलवाड़ है।
यहाँ चलता है इलाज के नाम पर लूट ओर मौत का खेल
रोशनाबाद क्षेत्र में बिना किसी डिग्री या पंजीकरण के तमाम झोलाछाप डॉक्टर स्थानीय जनता के जीवन से खिलवाड़ कर रहे हैं। ये लोग मामूली बुखार से लेकर गंभीर बीमारियों तक के इलाज का दावा करते हैं, जबकि न इनके पास प्रमाणिक योग्यता है, न अनुभव, और न ही मेडिकल काउंसिल से मान्यता। ज़हरीले इंजेक्शन, एक्सपायर्ड दवाएं और गलत इलाज के कारण कई लोग गंभीर स्थिति में अस्पतालों में भर्ती हो चुके हैं — कुछ ने तो जान भी गंवाई है।
अवैध मेडिकल स्टोरों की भरमार
झोलाछाप डॉक्टरों के साथ-साथ, बिना लाइसेंस के चल रहे मेडिकल स्टोर भी खतरे की घंटी हैं। ऐसे स्टोर नकली, प्रतिबंधित या एक्सपायर्ड दवाएं बेचने में लगे हैं।हालाकी औषधि निरिक्षण अनिता भारती द्वारा पहले कई बार क्षेत्र मे छाफे मारी कर ऐसे मेडिकल बंद किये गये जो गलत तरीकों से चलाये जा रहे थे, लेकिन आपको बता दें कि इस क्षेत्र मे चलने वाली इन अवैध गतिविधियों से निपटने के लिये अकेली औषधि निरीक्षक सक्षम नही, ये एक बड़ा जाल है जिसमे सीधे सीधे स्वास्थ्य विभाग को दस्तक देनी होगी, जबकि स्वास्थ्य विभाग यहाँ से मात्र एक किमी कि दूरी पर स्तिथ है,
इसीलिए लगातार उठते है प्रशासन की भूमिका पर सवाल
सबसे बड़ा सवाल उठता है — जिस स्थान ओर क्षेत्र कि हम बात कर रहे है वो हरिद्वार प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग कि बिलकुल जड़ मे स्तिथ है इसलिए समँझ से बाहर ये है कि यहाँ कोई बडी कार्य वाही क्यों नही? स्थानीय प्रशासन की चुप्पी भी संदेहास्पद है। क्या ये सब जानबूझकर आंखें मूंदे बैठे हैं या इसके पीछे कोई बड़ा खेल हैं? ऐसे तमाम सवाल सिर्फ इसलिए खडे हो रहे है क्योंकि कुछ कदमो कि दूरी पर ही स्वास्थ्य विभाग कि मौजूद है बावजूद इसके यहाँ धड़ल्ले से अयोग्य लोग मनमानी कर रहे है जिन्हे ना तो कानून का भय है ओर ना ही स्वाथ्य विभाग का , दुर्भाग्य है कि यहाँ आये दिन कोई न कोई अप्रिय घटना इन झोलाछाफ डॉक्टरो के हाथों होती रहती है , बावजूद इसके इन अवैध गतिविधियों पर रोक लगाने की न तो मंशा दिखती है, न ही कार्रवाई।
कानून का उल्लंघन और सरकार की नाकामी
इस क्षेत्र मे बैठे झोलाछाप डॉक्टर भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम (Indian Medical Council Act) का खुला उल्लंघन कर रहे हैं। इनके खिलाफ कार्यवाही करना सीधे तौर पर राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी है। पर मौजूदा हालात साफ बताते हैं कि सरकार की नीतियां ज़मीनी स्तर पर लागू नहीं हो पा रही हैं। यह स्थिति उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य के लिए गंभीर चिंता का विषय है, जहां ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाएं पहले से ही सीमित हैं।
जनता में बढ़ता आक्रोश, जागरूकता की भी कमी
स्थानीय लोगों में अब धीरे-धीरे आक्रोश पनपने लगा है। कई बार जनप्रतिनिधियों से शिकायतें की गईं, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ आश्वासन ही मिले। दूसरी तरफ, जनता की जागरूकता की कमी भी इन झोलाछाप डॉक्टरों के लिए वरदान साबित हो रही है। इलाज के नाम पर ठगी और नुकसान दोनों ही यहाँ आम बात हो चुकी है।
रोशनाबाद में फैल रहा झोलाछाप डॉक्टरों और अवैध मेडिकल स्टोरों का जाल उत्तराखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न है। यदि प्रशासन और सरकार ने शीघ्र प्रभावी कार्रवाई नहीं की, तो यह लापरवाही एक बड़े स्वास्थ्य संकट को जन्म दे सकती है। ज़रूरत है व्यापक निरीक्षण, कानूनी कार्रवाई और जनजागरूकता की — ताकि आम जनता को सुरक्षित और प्रमाणिक स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें।