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रोशनाबाद की नदियों में गरजते ट्रैक्टर केवल अवैध खनन का प्रतीक नहीं हैं, बल्कि यह उस मिलीभगत और उदासीनता की तस्वीर भी हैं जो सरकारी राजस्व, पर्यावरण और आम जनता – तीनों को नुकसान पहुँचा रही है। सवाल है कि क्या प्रशासन अब सच में कोई ठोस कदम उठाएगा या फिर यह लूट यूँ ही जारी रहेगी?
जनता की मांग है कि इस अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए विशेष अभियान चलाया जाए। ड्रोन सर्वे, नाइट पेट्रोलिंग और बड़े पैमाने पर कार्रवाई ही इस पर रोक लगा सकती है। लोगों का कहना है कि अगर प्रशासन अब भी नहीं जागा, तो आने वाले वर्षों में नदियों का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा और क्षेत्र पर्यावरणीय आपदाओं का गढ़ बन जाएगा।
क्षेत्र की नदियों में अवैध खनन का खेल दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। बताया जा रहा है कि खनन माफिया रात के अंधेरे में जेसीबी और डंपर लगाकर नदियों से रेत-बजरी की चोरी कर रहे हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि यह सब खनन विभाग और राजस्व विभाग की मिलीभगत से हो रहा है।
लोगों का कहना है कि रात को जब लोग सोते हैं, उसी समय नदी किनारों पर ट्रैक्टर-ट्रॉली और बड़े वाहनों की आवाजाही शुरू हो जाती है। नदियों का सीना चीरकर खनन माफिया माल निकालते हैं और फिर अवैध रूप से सप्लाई की जाती है। इससे जहां सरकार को करोड़ों का राजस्व नुकसान हो रहा है, वहीं नदियों का प्राकृतिक संतुलन भी बिगड़ रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि अनियंत्रित खनन से नदी का प्रवाह बदल सकता है, जिससे बाढ़ और कटाव का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि खनन विभाग और राजस्व विभाग के अधिकारी इस खेल में सीधे शामिल हैं। बिना संरक्षण के इतनी बड़ी मशीनें और गाड़ियां खुलेआम नदी से माल नहीं निकाल सकतीं। क्षेत्र वासियों ने कई बार प्रशासन को शिकायत की, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ औपचारिकता निभाई जाती है।