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रुड़की शहर में तेजी से खुल रहे स्पा और मसाज सेंटर अब गंभीर सामाजिक चिंता का विषय बनते जा रहे हैं। एक ओर इन सेंटरों का संचालन स्वास्थ्य और वेलनेस के नाम पर किया जाता है, वहीं दूसरी ओर कई जगह इनकी आड़ में देहव्यापार जैसे अनैतिक और गैरकानूनी कार्यों के होने की चर्चाएँ तेज हो रही हैं। यह न केवल कानून व्यवस्था के लिए चुनौती है बल्कि समाज की नैतिकता और युवाओं के भविष्य पर भी गहरा असर डाल सकता है।
पुलिस प्रशासन समय-समय पर छापेमारी कर ऐसे कई सेंटरों का भंडाफोड़ करता रहा है, लेकिन सिर्फ सरकारी कार्रवाई पर्याप्त नहीं है। अब समय आ गया है कि सामाजिक संस्थाएँ, महिला संगठन, और देहव्यापार विरोधी दल सक्रिय भूमिका निभाएँ। इन संस्थाओं को न केवल जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है बल्कि स्थानीय स्तर पर निगरानी तंत्र भी खड़ा करना होगा ताकि ऐसे मसाज सेंटर जो कानून का उल्लंघन कर रहे हैं, उन पर तुरंत कार्रवाई हो सके।
लोगों का मानना है कि अगर इस समस्या पर समय रहते कड़ा कदम नहीं उठाया गया तो आने वाले समय में शहर के युवाओं को गलत दिशा में जाने से रोकना मुश्किल होगा। वहीं,महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा भी एक बड़ा सवाल बनकर सामने आएगा।
इसलिए अब जरूरी हो गया है कि समाज के हर वर्ग की भागीदारी सुनिश्चित हो। केवल पुलिस प्रशासन ही नहीं, बल्कि आम नागरिकों, सामाजिक संस्थाओं और नैतिक मूल्यों से जुड़ी संस्थाओं को भी इस अभियान का हिस्सा बनना होगा। तभी शहर को इस बढ़ते खतरे से बचाया जा सकेगा।
हाल ही में हरिद्वार, देहरादून और दिल्ली एनसीआर में पुलिस ने बड़े स्तर पर स्पा सेंटरों पर कार्रवाई की है, जहाँ हेल्थकेयर के नाम पर देहव्यापार को बढ़ावा दिया जा रहा था। कई मामलों में मानव तस्करी के एंगल भी सामने आए हैं, जिससे स्पष्ट होता है कि यह समस्या सिर्फ स्पा के बंद कमरों तक सीमित नहीं है, बल्कि एक बड़े रैकेट का हिस्सा है।