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रोशनाबाद बरसाती बड़े नाले पर कर दिये गए अवैध निर्माण, अब ढेह रहे मकान,यहाँ प्रसाशन मौन क्यों,जबकि प्रसाशन से चंद कदमो की दूरी पर टूटे मकान,

ByManish Kumar Pal

Jul 13, 2023

News National

रोशनाबाद / आपको बतादे ख़बर ज़िला हरिद्वार के रोशनाबाद से है, केविन केयर कंपनी के सामने बने नाले पर धड़ल्ले से अवैध निर्माण कार्य कर दिया गया,इतना ही नही एक बहुत बड़े बरसाती नाले को भी इन निर्माण कर्ताओं नें गायब कर दिया एक ओर लोगों नें नाला कब्जा कर मकान बना दिये तो दूसरी ओर नाले पर ही अवैध गोदाम बना दिया,जिस कारण बरसाती नाले को पूरी तरह क्षतिग्रस्त कर कब्जे मे लें लिया हैं,ओर ये मामला हरिद्वार प्रसाशन की नाक नीचे याँ यूँ कहें की पूरी तरह मिली भगत के चलते हुआ हैं,

, भारी बारिश के कारण पूरे ज़िले में जलभराव की स्थिति बनी हुई हैं कही पुल तो कही मकान गिर रहे है।बता दें की ये समस्त अवैध निर्माण केविन केयर कंपनी के सामने बने नाले पर किया गया हैं जहाँ पानी नें अपना रूद्र रूप दिखाकर अवैध मकान को तोड़ दिया,

आपको बतादे ये कोई पहला मामला नहीं है रोशनाबाद में पहले भी इस तरह के कई मामले सामने आ चुके है शासन – प्रशासन की बग़ल में अगर इतना अवैध निर्माण है तो ज़िले में क्या ही हाल होगा, शासन – प्रशासन को पहले भी कई बार इस क्षेत्र मे चल रहे अवैध निर्माण कारों को लेकर ग्रामीणों नें सचेत किया था,लेकिन प्रसाशन द्वारा इस क्षेत्र मे न तो अवैध कालोनीयों पर कोई कार्यवाही की गई ओर न ही अवैध निर्माण कार्यों पर,जबकि अधिक शिकायतों के बाद प्रसाशन औपचारिकता के चलते ज़िले में दूर दराज के अवैध निर्माण तो तोड़ देता है लेकिन अपने बग़ल के क्षेत्र मे कोई कार्यवाही नही,सबसे बड़ा सवाल खड़ा होता है की इन अवैध निर्माणों की मलाई कौन कौन खा रहा है जो आजतक इन पर आँच तक नहीं आई है।

सूत्रों की अगर माने तो ये बरसाती नाला एक मात्र ऐसा जरिया था जो बरसात के पानी को क्षेत्र से बिना हानि किये निकाल देता था,लेकिन आज इस नाले को अवैध निर्माण निगल चुके हैं जिस कारण ये पानी त्राही मचा रहा हैं ओर निर्माण कार्यों को तोड़ रहा हैं,ऐसे मे अगर किसी की जान चली जाती हैं तो उसका असल जिम्मेदार निकट बैठा प्रसाशन ही होगा, जो न तो अवैध कालोनीयों पर नजर डाल रहा हैं ओर न ही अवैध निमाण कर रहे लोगों पर कोई कार्यवाही हैं,

जबकि रोशनाबाद क्षेत्र मे एक बड़ा तबका ग्राम पंचायत भूमि का हुआ करता था,लेकिन न तो अब वो भूमि कहीं नजर आती हैं ओर न ही बरसाती नाले,

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