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सिडकुल एक ऐसा औद्योगिक क्षेत्र हैं जहाँ लाखों लोग रोजगार कर अपने व अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं जिनमे पुरुष ओर महिलाएं दोनों ही हैं,अधिकतर अकेली रह रही महिलाएं ऐसे स्थानो पर निवास कर रही हैं जिन्हे वो सुरक्षा कि दृष्टि से देखते हुए स्वयं के लिए सुरक्षित मानती हैं,जिनमे से सिडकुल रोशनाबाद स्थित हरिद्वार ग्रीन भी एक था,परन्तु पिछले कुछ समय से उन महिलाओं कि शिकायतें लगातार मिलती चली आ रही हैं जो इस सोसायटी मे किराए पर अकेली निवास कर रही हैं,महिलाओं का कहना हैं कि पिछले कुछ समय से यहाँ लड़कियों ओर महिलाओं के साथ बाहर से आने व सोसायटी मे ही किराये पर रहने वाले कुछ युवक छेड़खानी कर रहे हैं,शनिवार,रविवार या किसी भी छुट्टी के दिन अधिकतर टावरों मे शराब कि पार्टियां होती हैं,इतना ही नही कईं बार शराब के नशे मे धुत्त कुछ युवक सड़कों पर ही हंगामा करते हैं,शोर शराबा करते हैं,आस पास रहने वाली अकेली रह रही महिलाओं ओर लड़कियों पर भद्दे कमेंट करते हैं,जिस कारण अब इस सोसायटी मे महिलाएं खुद को असुरक्षित महसूस कर रही हैं,
गुप्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कुछ युवक बाहर से लडकियां लाकर इस सोसायटी मे अय्यासियाँ भी करते हैं जिस कारण यहाँ रहने वाले परिवारों को बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा हैं,मिली जानकारी के अनुसार जो युवक हरिद्वार ग्रीन मे पहुंचकर वहाँ कि शांति भंग कर सोसायटी को दूषित करने का काम कर रहे हैं वे अधिकतर उत्तरप्रदेश के निवासी हैं जो सिडकुल मे ही अलग अलग कंपनियों मे काम कर रहे हैं ओर छुट्टी के दिन मौज मस्ती करने के लिए सोसायटी मे शराब,कबाब व शबाब लेकर पहुँच जाते हैं,
दुर्भाग्य कि जिस सोसायटी मे लोग सुरक्षित रहने के लिए किराए पर निवास कर रहे थे आज उनमे से बहुत से लोग सोसायटी छोड़ छोड़ कर निकलने को मजबूर हो रहे हैं,क्योंकि वे स्वयं को असुरक्षित महसूस करने लगे हैं,हालाकी यहाँ से कुछ ही दूरी पर जिले के सभी बड़े अधिकारी मौजूद हैं पुलिस मुख्यालय मौजूद हैं,बावजूद इसके यहाँ बाहरी युवकों द्वारा खुलकर तांडव किया जा रहा हैं,सवाल ये भी हैं कि ज़ब जगह जगह सिक्योरटी मौजूद हैं फिर क्यों इस तरह कि असामाजिक गतिविधियां यहाँ फल फुलने लगी हैं ओर इन असामाजिक तत्वों को यहाँ किनका संरक्षण मिल रहा हैं,
हरिद्वार ग्रीन के पुराने मैंनेजमेंट स्टॉफ कि अगर माने तो उन्होंने अब सोसायटी को सोसायटी के हवाले कर दिया हैं जिस कारण व्यवस्थाये अब पहले जैसी नही रही,