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Haridwar / सरकारी विभाग हो या फिर प्राइवेट उनमे समय समय पर कर्मचारियों की पदोउन्नति का प्रावधान है, लेकिन फिर भी यदि विभाग या कम्पनी ऐसा नहीं करती है तो यह नियम कानून के विपरीत तो है ही साथ ही मानवता के विपरीत भी माना जाता है, लेकिन ऐसे कईं विभाग है जो न तो अपने कर्मचारिगणो कों समय पर वेतन भुगतान करते है ओर न ही प्रमोशन, बल्कि इसके लिये कर्मचारियों कों अपने ही विभाग के लिये मोर्चा तक खोलना पड़ जाता है
बता दें की सीधी भर्ती के सहायक अभियन्ताओं द्वारा मुख्य अभियन्ता हरिद्वार जोन व कुंमाऊ जोन को ऐसा ही एक ज्ञापन दिया है
जिसके माध्यम से उन्होंने अवगत कराया है की उत्तरांचल पावर इजीनियर्स एसोशिएसन (यूपीइए) के पदाधिकारियों एवं सदस्यों द्वारा चयन वर्ष 2008-09 में नियुक्त सीधी भर्ती के सहायक अभियन्ताओं की लगभग 07 वर्षो से पदोन्नति रुकी हुई है
जिसके माध्यम से यह भी अवगत कराया कि पदोन्नत सहायक अभियन्ताओं के द्वारा मा० उच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत वरिष्ठता सूची से पदोन्नति / प्रभार दिये जाने के लिये उपाकालि, प्रबन्धन पर अनैतिक दबाव बनाया जा रहा है जिसका यूपीईए के सभी सदस्य पुरजोर विरोध करते हैं, चूंकि एक ओर प्रकरण मा० उच्च न्यायालय में विचाराधीन है वहीं दूसरी ओर पदोनन्त सहायक अभियन्ताओं के अधिवक्ता द्वारा सुनवाई के दौरान इस विवादास्पद सूची से पदोन्नति / प्रभार दिये जाने हेतु आग्रह किया गया तो मा० उच्च न्यायालय द्वारा इस आग्रह को दरकिनार कर दिया गया एवं इस विवादास्पद सूची को “Serious Controversy” बताते हुये याचिका को Merit पर सुनने का फैसला दिया ।
यूपीइए के इन सदस्यों द्वारा ज्ञापन के माध्यम से यह भी अवगत कराया गया कि पदोन्नत सहायक अभियन्ताओं द्वारा बनाये जा रहे दबाव एवं अनैतिक आन्दोलन से कॉरपोरेशन के प्रभावित हो रहे दैनिक क्रियाकलापों का भार भी सीधी भर्ती के अभियन्ताओं को ही उठाना पड़ रहा है एवं राजस्व वसूली के इस महत्वपूर्ण समय काल में इस प्रकार का दबाव बनाना अनैतिक है जबकि में एस्मा भी लागू है।
यूपीइए के इन सदस्यों द्वारा ज्ञापन से यह भी अवगत कराया गया कि जिन पदोन्नत सहायक अभियन्ताओं द्वारा धरना दिया जा रहा है वे पूर्व में एक साथ चार-चार अनैतिक शिथिलीकरण का लाभ लेकर सहायक अभियन्ता बने हैं जिसको मा० उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है एवं इस अनैतिक दबाव में यदि कोई अनुचित फैसला प्रबन्धन द्वारा लिया जाता है तो उस स्थिति में सीधी–भर्ती से आये बी. टेक पात्रता प्राप्त अभियन्ता सेवा काल में कभी भी अधिशासी अभियन्ता नहीं बन पायेगें जो कि भविष्य में स्नातक करने वाले अभियर्थियों को हतोत्साहित करेगा।
ज्ञापन के माध्यम से यह भी अवगत कराया गया कि यूपीइए के सदस्य राज्य एवं कॉरपोरेशन हित में सदा अग्रसर रहे हैं एवं आज भी कॉरपोरेशन के क्रियाकलापों को बिना प्रभावित किये एवं औद्योगिक शांति को बनाये रखते हुये विन्रम निवेदन करते हैं कि माननीय उच्च न्यायालय के अंतिम आदेशों के उपरान्त ही पदोन्नति एवं प्रभार दिये जाने हेतु विचार करने का कष्ट करें अन्यथा अन्यायपूर्ण व भेद-भावपूर्ण रवैया के विरूद्व यूपीइए के सभी सदस्यों को भी संवैधानिक व्यवस्था के अंतर्गत धरना प्रदर्शन के लिए बाध्य होना पड़ेगा।
