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हरिद्वार ग्रामीण /जहा एक और देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद के लिए एक आदिवासी महिला को राष्ट्रपति पद के लिए चुना गया है, वहीं दूसरी और ग्रामीण क्षेत्रीय पंचायत मे भी लगातार महिलाओं को आगे बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है, अभी कुछ ही दिनों मे हरिद्वार 2022 के ग्राम पंचायत चुनाव का बिंगुल बजने जा रहा है जिसने महिलाओं को अच्छा आरक्षण मिला है, लेकिन यहां जो सबसे बड़ा दुर्भाग्य नजर आता है वो है चुनाव जीतने के बाद अपनी ग्राम सभा से पूर्ण रूप से गायब हो जाना,
अभी कुछ ही दिन शेष बचे है जिस कारण पंचायत चुनाव के आते ही इस क्षेत्र मे सरगर्मी तेज हो चुकी है हर गली मोहल्ले में अब उम्मीदवारों के बैनर पोस्टर दिखाई देने लगे हैं।रावली महदूद, सलेमपुर रोशनाबाद ऐसी ही कई ग्राम पंचायत में प्रधान पद के लिए अलग अलग आरक्षण की सीट आरक्षित हुई है। ग्राम पंचायत से सभी संभावित उम्मीदवारों की गांव में सक्रियता बढऩे लगी है। जीते हारे के साथ-साथ कई बार अपनी किस्मत आजमा चुके उम्मीदवार भी चुनावी रण में उतरने के लिए बेचैन दिखाई दे रहे हैं। वहीं कई नए चेहरे भी अपनी उम्मीदवारी को लेकर सामने आए हैं। यही वजह है कि गांव में किसी न किसी बहाने से संभावित उम्मीदवारों ने दस्तक देना शुरू कर दिया है। लेकिन ग्राम पंचायत रावली महदूद, सलेमपुर रोशनाबाद व अन्य ग्राम सभा की जनता का दुर्भाग्य रहा है कि पिछले करीब 2 योजनाओं से अपने प्रधान से मिल नहीं पाए हैं।उसका कारण यह रहा कि ग्राम प्रधान महिला रही और मलाई उनके नाम पर उनके पति देव खाते रहे, अगर घर मे बैठी प्रधान से उनके क्षेत्र कि योजनाओ के विषय मे ही पूछ लिया जाए तो गनीमत है कि वो इस बारे मे कुछ बता सके
हालाकी सरकार कि और से महिला सशक्तिकरण को मजबूत करने के लिए प्रधान पद के लिए महिला सीट आरक्षित की जाती है महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए सरकार के द्वारा कई तरह के प्रयास किए जाते हैं लेकिन जब गांव की जनता किसी महिला को चुन कर ग्राम प्रधान बना देती है तो उसके बाद वह प्रधान गायब हो जाता है यदि कोई प्रधान के रूप में निकल कर सामने आता है तो वह प्रधान पति होता है।
ग्राम वासियों को इस बार इन सब बातो पर विशेष देना होगा क्योंकि गाँव का प्रधान चुनने मे सिर्फ ग्राम वासियों कि ही भूमिका होती है बिना सोचे समझे व परखे यदि आप किसी को प्रधान बना रहे है तो निश्चित रूप से अच्छे बुरे के जिम्मेदार आप स्वयं ही होंगे,