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दुनिया का एक खतरनाक दरिंदा जिसे द मॉन्स्टर ऑफ जेनोवा के नाम से जाना जाता है। लुइस ने कोलंबिया, वेनेजुएला और इक्वाडोर में 190 से अधिक बच्चों और किशोरों के साथ बलात्कार किया। उन्हें यातना देने के बाद मार दिया। उसे शुरुआत में 1,853 साल और 9 दिन की सजा हुई थी। हालांकि बाद में उसकी सजा कम कर 40 साल कर दी गई।
द मिरर के मुताबिक, लुइस ने अपनी सजा का अधिकांश समय भुगत लिया है। चूंकि जेल में रहने के दौरान उसका व्यवहार अच्छा रहा। अपराधों से भी दूर रहा। लुइस अप्रैल 1999 में अपनी गिरफ्तारी के बाद से जेल में है।
गृहयुद्ध का उठाया फायदा
रिपोर्ट के अनुसार, लुइस का शुरुआती जीवन काफी मुश्किल भरा रहा। जल्द ही अपराध की दुनिया में वह उतर गया। उसने कोलंबिया के दशकों लंबे गृहयुद्ध के दौरान बच्चों की असुरक्षा का फायदा उठाया और पीड़ितों को लुभाने के लिए पुजारी, किसान या रेहड़ी-पटरी वाले जैसे वेश का इस्तेमाल किया। उसके अपराधों का खुलासा तब हुआ जब पुलिस अधिकारियों को 1990 के दशक के अंत में एक सामूहिक कब्र मिली। जिसमें 25 प्रताड़ित बच्चों को दफनाया गया था। उसे अप्रैल 1999 में एक अन्य बच्चे को नुकसान पहुंचाने का प्रयास करते समय पकड़ा गया था।
बाईं आंख में हुआ कैंसर
इस समय लुइस 66 साल का है। वह वैलेडुपर में एक हाई सिक्योरिटी जेल में है। क्रोनिक लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया से पीड़ित है। उसकी बाईं आंख में कैंसर है। फिलहाल पैरोल की संभावनाओं ने कोलंबिया के कानून पर सवाल उठा दिए हैं।
डॉक्टर ने कहा- अपराध पर उसे पश्चाताप नहीं
डॉ. मार्क बेनेके एक फॉरेंसिक वैज्ञानिक हैं। उन्होंने सीरियल किलर लुइस का इंटरव्यू लिया था। द मिरर से बातचीत में उन्होंने कहा कि लुइस एक मनोरोगी है। उसे अपने अपराध पर पश्चाताप नहीं है। वह बच्चों के साथ बड़े नरम दिल से मिलता था। फिर उन्हें बहला-फुसलाकर उनके साथ अपराध करता था।
काफी खराब हुई हुई थी परवरिश
डॉ. बेनेके कहते हैं कि उसकी परवरिश ने उसे मनोरोगी बना दिया। उसका बचपन शारीरिक और यौन शोषण के साथ-साथ उपेक्षा से भरा हुआ था। शराबी पिता ने लुइस और उसके भाई-बहनों को स्कूल जाने के बजाय काम करने के लिए मजबूर किया और उनके अपने परिवार के साथ तनावपूर्ण संबंध थे।